आहत न होना
मैं दिल की खोल रहा हूँ ।
जय भीम दीदी
मैं तेरा भाई बोल रहा हूँ ।
तेरा घर है तू सौ नहीं
हज़ार बार आना ।
पर राखी बाँधने
तू कल मत आना।
ढोंग पाखन्ड से
मुँह मोड़ चुका हूँ ।
ब्राह्मण वादी परम्पराओं से
नाता तोड़ चुका हूँ ।
सरफरोसी जज्बा
कौमी आदी हो गया है।
तेरा भाई पक्का
अम्बेडकर वादी हो गया है ।
तेरी रक्षा सुरक्षा से
मुझे ऐतराज़ नही है ।
मगर मेरा फर्ज किसी
राखी का मोहताज नही है।
दुख दर्द पीर भारत की
नारी का ले गये ।
बाबा साहब तो बिन राखी के
सारे अधिकार दे गये।
बिगड़ा हुआ कल था
वो आज बना दिया है।
बाबा साहब ने नारी को
सरताज बना दिया है ।
मेरा साथ दे और तू भी
अपना रुख मोड़ ले ।
दूज दिवाली होली मनाना
तू भी छोड़ दे ।
नाराज न होना बहन मेरी
परसों खुद लेने आऊंगा ।
प्रीत रीत और फर्ज अर्ज
राखी बिन सभी निभाऊंगा।
( जय भीम )
Santoshktn.blogger.com By SK BHARTI
Comments
Post a Comment