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भारत की घटिया राजनीति by SK BHARTI


क्या भारत जैसी घटिया राजनीति और किसी देश मे भी होती होगी ;क्योंकि इसी घटिया राजनीति के चलते भारत आज भी विकासशील देशो की लाइन मे खड़ा है? ????

 भारत मे धर्म ,जाति और स्थानीयता के आधार पर राजनीति किया जाता है। तथा इसी कारण देशभर के युवाओं को बेरोजगारी का सामना  करना पड़ रहा है। (santoshktn.blogspot.com by SK BHARTI) भारत की राजनीति बहुत घटिया है, यहाँ के नेता सिर्फ अपने बारे मे सोचते है ,अगर आज अपने बारे मे ना सोचे होते तो शायद पाकिस्तान नक्शे मे ना होता । भारत 50 साल से एक अँगुल भर के देश से ना जूझता  ,हर बार सैनिक और बेचारी निर्दोष जनता ना मारी जाती ।अपने देश मे पाकिस्तान के नारे ना लगते  ,चीन  10 किलोमीटर अंदर नही आ जाता ,यही बात सिद्ध करता है कि भारत के नेता सिर्फ भौकते है ,भारत की जनता सोती है ,"राजनीति के नाम पे सिर्फ धर्म के ठेकेदार जो आपस मे तु तु मै मै करते है अगर इतना देश के लिए लड़े तो कुछ देश सुधर सकता है " भारतीय नेताओं आपकी राजनीति सब से घटिया है । 

 राजनीति में सक्रिय लोगों तमाम नेताओं पर हम नजर डालें तो हमें यह देखकर दु:ख होगा कि ,इनमें अनेक ऐसे लोग दिखाई देते हैं जो अशिक्षित होने के अलावा अपने जीवन के तमाम क्षेत्रों में असफल होने के बाद सफेद कुर्ते-पायजामे सिलवा कर समाज सेवा को बहाना बनाकर राजनीति में सक्रिय हो गये हैं। ऐसे तत्वों की सक्रियता एक ओर तो राजनीति के क्षेत्र में इसलिए भी बढ़ती गई क्योंकि देश की जनसंख्या के साथ-साथ बेरोजगारी भी अपने चरम पर पहुंच चुकी है। दूसरी तरफ ऐसे अपरिपक्व एवं असमाजिक लोगों के राजनीति में बढ़ते प्रवेश को देखकर योग्य, ईमानदार तथा देश सेवा का जज़्बा रखने वाले उन तमाम लोगों ने अपने आपको राजनीति के क्षेत्र से दूर रखना शुरू कर दिया जो असमाजिक तत्वों की राजनीति में घुसपैठ को कतई उचित नहीं समझते थे। शरीफ़ एवं सज्जन व्यक्तियों द्वारा राजनीति से मुंह मोड़ लेने की घटना ने तीसरे दर्जे के ऐसे लोगों को इतना अधिक प्रोत्साहित किया कि ,  राजनीति में जहां इनका वर्चस्व साफ नजर आता है वहीं योग्य एवं सज्जन राजनीतिज्ञ या तो राजनीति के दल-दल से दूर होता जा रहा है ।या फिर सक्रिय होते हुए भी स्वयं को असहाय एवं निष्प्रभावी महसूस करने लगा है। 

 आज का आधारहीन तथाकथित नेता अपने आकाओं को तोहफे भेंट कर, अखबार नवीसों को तमाम प्रकार की 'भेंट' देकर अपने राजनैतिक आकाओं के पक्ष में उसकी तारीफों के पुल बांधने वाले प्रेस नोट जारी कर स्वयं को सफल राजनीतिज्ञ मानता है। कोई दूसरे देशों के झण्डे जलाकर अपनी राजनीति चटकाता है तो कोई अफसरों व अन्य वरिष्ठï नागरिकों को स्मृति चिन्ह भेंटकर उन्हें सम्मानित करने के बहाने अपना ही मान-सम्मान बढ़ाने का प्रयास करता है। कोई अपने साथ चार लोगों को लेकर सड़कों पर दहशत फैलाने, कारों व जीपों में बैठकर तेज रफ्तार से गाड़ी चलाने को ही सफल राजनीति मानता है। तो कोई राष्ट्रीय राजमार्ग पर शहीदों की फोटो से लैस गाडिय़ों पर पिकनिक मनाए जाने की घटना को 'रथयात्रा' का नाम देकर स्वयं को लाल कृष्ण अडवाणी की श्रेणी में स्थापित करने का प्रयास करता है। 
राजनीति में अपराधी भी काफी सक्रिय भूमिका अदा कर रहे हैं। इन अपराधियों की सक्रियता का केवल एक ही उद्देश्य होता है, अपनी जान बचाना तथा शासन प्रशासन का संरक्षण प्राप्त करना। जाहिर है अपने इस उद्देश्य के लिए वे किसी एक राजनैतिक दल के साथ किन्हीं सिद्धांतों के तहत बंधे नहीं होते। वे उसी दल के साथ होते हैं जो दल उनकी सुरक्षा की पूरी गारन्टी लेता हो। उपरोक्त हालात को देखकर इस निर्णय पर पहुंचा जा सकता है कि देश की राजनीति के वर्तमान गिरते हुए स्तर के लिए काफी हद तक अकुशल,अयोग्य, भ्रष्ट व व्यवसायिक मानसिकता रखने वाले ढोंगी नेताओं की राजनीति में घुसपैठ जमेदार है। 

"" यदि देश को इस नासूर से मुक्ति दिलानी है तो ऐसी व्यवस्था करनी पड़ेगी जिससे कि शिक्षित, योग्य, ईमानदार एवं नीतियों व सिद्धांतों पर विश्वास रखने वालेे समर्पित लोग ही सक्रिय राजनीति में भाग ले सकें।कोई मर्डरर या अपराधी नही।""

Thanks for reading my blog. ...

Comments

  1. जिस प्रकार से जब माँ का गर्भ खुलता तो प्रकृति में विचरण करने वाली दुस्ट आत्माएँ उसमें जल्दी प्रवेश कर जाती हैं,और आप देखते होंगे इस समय दुस्ट प्रवृत्ति के लोग ज्यादा पैदा हो रहे हैं ।इसी प्रकार राजनीति में भी दुस्ट लोगों का प्रवेश जल्दी हो जाता है और इमानदार बेचारा राजनीति में आने से बंचित रह जाता है ।

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