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FOR A SUCCESSFUL LIFE

सफलता के पांच सूत्र 

सक्सेस सभी चाहते हैं, लेकिन यह सबको मिलती कहां है? कई बार तो यह अच्छी एजुकेशन और पर्याप्त मेहनत के बाद भी नहीं मिलती। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि लोग अपने लिए गलत फील्ड डिसाइड कर लेते हैं। जब तक उन्हें अपनी गलती का एहसास होता है, तब तक काफी देर हो जाती है और वे अपने कलीग्स से करियर की रेस में पीछे हो जाते हैं। इस सिचुएशन से बचने के लिए अपना गोल डिसाइड करने से लेकर सक्सेस मिलने तक हर कदम पर अपनी इंटेलिजेंस को यूज करें। अगर इन पांच प्वॉइंट्स पर फोकस करेंगे, तो सक्सेस आसानी से मिल सकती है :

डिसाइड योर गोल

सक्सेसफुल पर्सनैलिटीज की बात करें, तो उन्होंने पहले अपना गोल डिसाइड किया और फिर उस दिशा में काम शुरू किया। आप भी इस फार्मूले को अपना सकते हैं। अपना गोल, अपनी स्ट्रैंथ, इंट्रेस्ट और प्रॉयरिटी के बेस पर तय करें। हम यह काम कर सकते हैं? हमारी रुचि इसमें है या नहीं? हमारी प्रॉयरिटी में इसका क्रम क्या है? इनके आंसर खुद से पूछें। जो जवाब आए, उसके आधार पर ही अपना टारगेट डिसाइड करें।

डिसाइड योर वर्क स्ट्रैटेजी
गोल डिसाइड करने के बाद सेकंड स्टेप में उसे हासिल करने के लिए वर्क स्ट्रैटेजी बनानी है। इसी वर्क स्टै्रटेजी के बेस पर सक्सेस तक पहुंचना है। स्ट्रैटेजी बनाते समय अपनी कैपेसिटी को ज्यादा या कम नहींआंकना चाहिए। यह रणनीति रियलिटी पर निर्धारित होगी, तभी अच्छा रिजल्ट मिलेगा। वर्क स्ट्रैटेजी बनाने में आप किसी एक्सपर्ट या सीनियर की हेल्प ले सकें, तो रिजल्ट और भी अच्छा मिल सकता है। ध्यान रखें कि वर्क स्ट्रैटेजी, आपके वर्क शिड्यूल से मैच करे और कहीं से भी वह आपकी वर्क कैपेसिटी से ओवर न हो। इस प्वॉइंट पर हम जितनी ईमानदारी बरतेंगे, सफलता की मंजिल उतनी ही करीब आती जाएगी।

ब्रेक द बैरियर्स

टारगेट डिसाइड करने और वर्क स्ट्रैटेजी बनाने के बाद अब अपनी उन कमियों को दूर करने की कोशिश करें, जो सक्सेस में बाधा बन सकती हैं। समझदारी से काम लेते हुए अपने वीक प्वॉइंट्स पहचानें। फ्रेंड्स, गार्जियन या टीचर की मदद लें, जिनसे आपको अपनी कमियां जानने में मदद मिलेगी। अपने आप से क्वैश्चन करें कि क्या ये कमियां हमारी सक्सेस में बाधा बन सकती हैं? अगर आंसर हां हो, तो स्ट्रैटेजी में थोडा बदलाव करते हुए पहली प्रॉयरिटी इन वीक प्वॉइन्ट्स को दूर करने की बनाएं।

जज योर प्रोग्रेस

स्टेप-बाय-स्टेप स्ट्रैटेजी डेवलप करने के बाद अब मंजिल की तरफ कदम रखें। फाइनल गोल के लिए हम जो तैयारी कर रहे हैं, क्या वह सही दिशा में चल भी रही है या नहीं? यह भी जज करना जरूरी है। अगर हमें यही नहीं पता होगा, तो मुमकिन है कि आखिरी पलों में हमारी रफ्तार कम हो जाए। इससे बचने के लिए एक निश्चित समय के बाद अपनी तैयारी को खुद या किसी सीनियर से टेस्ट कराएं। इससे पता चल जाएगा कि फाइनल स्टेज तक पहुंचने के लिए कितना एफर्ट लगाए जाने की जरूरत है।

एनालाइज योर मिस्टेक्स
आप अपना वर्क जज करना शुरू करेंगे, तो बहुत सी गलतियां आपके सामने आने लगेंगी। इन मिस्टेक्स को नजरअंदाज न करें। गलतियों को इग्नोर करना सबसे बडी मिस्टेक है। मिस्टेक्स क्यों हो रही हैं, इस पर ध्यान दें और पूरे प्रिपरेशन के साथ इन्हें दूर करें।

आप अगर पूरी ईमानदारी से इस दिशा में मेहनत के साथ काम करेंगे, तो सफलता ज्यादा दिनों तक आपसे दूर नहीं रह सकती है। सबसे पहले हो रही बडी मिस्टेक्स को दूर करें क्योंकि अगर ये ठीक हो गई, तो छोटी मिस्टेक तो खुद ब खुद दूर हो जाएंगी। जल्द सैटिस्फाइड न हों शुरुआती सक्सेस से ही हम सैटिस्फाइड हो जाते हैं और वर्क को लेकर रिस्पॉन्सिबिलिटी कम कर देते हैं। जबकि लॉन्ग टाइम सक्सेस के लिए तब तक सैटिस्फेक्शन नहीं होना चाहिए, जब तक फाइनल गोल न मिल जाए।

एक दिन सकारात्मक सोच के लिए

'प्रसिद्ध कथन है कि इंसान वैसा ही बनता जाता है जैसी वह सोच रखता है। यह कथन छोटे या बड़े हर व्यक्ति पर लागू होता है। आप जिंदगी में सफल तभी हो सकते हैं जब आप सफलता हासिल करने के प्रति अपनी सोच को सकारात्मक रखेंगे। अगर अपनी खामियां ढूंढ-ढूंढकर खुद को कमतर ही आंकते रहेंगे तो कभी सफलता की ओर कदम नहीं बढ़ा सकेंगे।

आप जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफल तभी हो सकते हैं जब आप अपनी काबिलियत का सौ प्रतिशत इस्तेमाल करें। 



अगर आप थोड़ी सी परेशानियों से घिरने पर खुद की क्षमताओं पर ही संदेह करने लगेंगे तो सफल होना मुश्किल है। हो सकता है कि एक बार प्रयास करने पर सफलता न मिले लेकिन अगर आप नकारात्मकता से दूर रहते हुए पूरे मन से प्रयास करेंगे तो सफलता मिलनी तय है।' 

सकारात्मक सोच का संबंध सिर्फ आपके करियर से ही नहीं है, यह आपके परिवारिक और सामाजिक जीवन से भी जुड़ी है। नकारात्मक सोच वाले व्यक्ति अपने आसपास एक ऐसा नकारात्मक माहौल बना लेते हैं। जो उनके साथ-साथ उनके आसपास के लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालता है।

कभी गौर करें कि जब आप जीवन के प्रति सकारात्मक बातें करते हैं तो बहुत से लोग आपकी ओर आकर्षि‍त होते हैं वहीं अगर आप हर समय जीवन के नकारात्मक पहलुओं को ही कुरेदते रहते हैं तो हर कोई आपके साथ से बचना ही चाहता है।

जीवन से जुड़ी अपेक्षाएं पूरी न होने पर निराशा स्वाभाविक है लेकिन अगर आप उस निराशा के अंधेरे में ही डूबे रहेंगे तो आशा की दूसरी किरणों को पहचान भी नहीं पाएंगे।

जीवन में उतार-चढ़ाव आना लाजमी है। लेकिन आपके असल व्यक्तित्व की पहचान आपके उस रवैये से है जो आप परेशानियों में घिरा होने पर अपनाते हैं। कुछ लोग जीवन के सकारात्मक पहलुओं को ढूंढ-ढूंढकर अपनी जिंदगी में उत्साह बरकरार रखते हैं और कुछ लोग नकारात्मकता से इस कदर घिर जाते हैं कि कोई गलत कदम उठाने से भी नहीं चूकते। 

 जिस दिन आप नकारात्मक चीजों में भी सकारात्मक पक्ष तलाशना सीख जाएंगे उस दिन कोई भी मुश्किल आपका मनोबल गिराने में सफल नहीं हो पाएगी। 



कुछ न कुछ करते रहिए





यह हमारे स्वभाव में है कि लगातार एक जैसा का काम करते रहने से बोरियत होती है। बचपन में हर कोई यह सोचता है कि बड़े होने पर मैं यह करूंगा, वह करूंगा। लेकिन जब हम बड़े होते हैं तो एक ही काम को लगातार करके अक्सर हमें बोरियत महसूस होती है।

हमारा मन कुछ नया करने की चाहत जरूर रखता है पर पस्थितियों की वजह से और आलस की वजह से हम बदलाव नहीं कर पाते, जबकि असल में अगर बदलाव के लिए हम प्रयत्न करें तब बदलाव अपने-आप मौके ढूंढता है। 

जिंदगी के उत्तरार्द्ध में खासतौर पर व्यक्ति के पास करने के लिए कुछ नहीं रहता और समाज जबरदस्ती उसे बुजुर्ग कहकर घर में बैठा देता है जबकि उसकी इच्छा समाज को और कुछ देने की होती है। छोटी सी कहानी है पर यह युवाओं के काम की भी है और बुजुर्ग भी इससे चाहें तो प्रेरणा ले सकते हैं। 87 वर्ष की उम्र में एक महिला ने कॉलेज के एक वर्षीय डिप्लोमा में एडमिशन लिया। महिला काफी खुशमिज़ाज थी। 

क्लॉस में जब सभी बैठे थे तब महिला ने क्लॉस के भीतर कदम रखा, तब सभी को लगा शायद शिक्षिका होंगी और सभी ने उठ कर उनका अभिवादन किया। महिला ने अभिवादन किया पर साथ में यह भी कह दिया कि मैं शिक्षिका नहीं, मैं भी आप ही की तरह विद्यार्थी हूं। 

यह देखकर सभी को आश्चर्य हुआ। पहले दिन के लेक्चर्स समाप्त हुए और बूढ़ी महिला ने अपने पास बैठी एक 19 वर्ष की लड़की से बातचीत आरंभ कर दी। 

दोनों काफी देर तक बातचीत करते रहे और बूढ़ी महिला ने उसे कैंटीन चलने के लिए कहा। दोनों कैंटीन पहुंचे और कॉफी पीने लगे। महिला ने बताया कि बचपन से उसकी इच्छा थी कि कॉलेज जाए और पढ़े पर ऐसा संभव नहीं हो पाया। जीवन की आपाधापी में वह पढ़ाई करने की इच्छा को पूर्ण नहीं कर पाई। कई बार लगता था कि कॉलेज का जीवन कितना अच्छा होगा, कितने दोस्त बनेंगे आदि। 

बुढ़ापा आया तब उसने स्वयं यह ठान लिया कि वह अपने आप पर बुढ़ापे को हावी नहीं होने देगी और अपनी इच्छा पूर्ण करेगी। इस कारण कॉलेज में भर्ती हो गई। कॉलेज में जैसे-जैसे दिन बीतते गए महिला की लोकप्रियता बढ़ती गई। वह अपने जीवन के अनुभवों से युवाओं का दिल जीत लेती थी और देखते ही देखते उसके कई दोस्त बन गए। 

कुछ ही समय में वह सभी छात्रों के बीच अपनी पहचान बनाने में कामयाब रही। वह कैंटीन जाती, अपने दोस्तों के साथ पार्टियां मनाने भी जाती थी और सभी उनका खासा सम्मान भी करते थे। कॉलेज में एक वर्ष ऐसा बीत गया जैसे पता ही न चला हो। डिप्लोमा पूर्ण हुआ और महिला भी अच्छे नंबरों से पास हुई। 

डिप्लोमा पूर्ण होने की खुशी में पार्टी का आयोजन किया गया जिसमें सभी को अपनी बात रखने का मौका दिया गया। बुजुर्ग महिला ने सबसे अंत में अपनी बात रखी। 

महिला ने अपनी बात को कुछ इस तरह रखा- मैं आपको अपने अनुभव के आधार पर ही कुछ बातें कह सकती हूं। जीवन में बड़े होने में और बूढ़े होने में बड़ा फर्क है। अगर आप लोग 19 वर्ष के हैं और अगले एक वर्ष तक कुछ नहीं करते हैं तब आप 20 वर्ष के हो जाएंगे और मैं कुछ नहीं करूंगी तब 88 वर्ष की हो जाऊंगी। इस तरह कोई भी अपनी उम्र बढ़ा सकता है और इसमें किसी प्रतिभा या प्रयत्न करने की कोई जरूरत नहीं है। 

बात यह है कि आप बूढ़े नहीं बड़े बनें और बदलाव को स्वीकार कर मौके ढूंढें। अगर आपको युवा बने रहना है तो लगातार कुछ न कुछ करते रहने की आदत डालें। 


सफलता पाने के लिए अपनाइए ये बातें

कहते हैं कि सफलता उम्र की मोहताज नहीं होती, क्योंकि ऐसे लोगों की एक लम्बी सूची है, जिन्होंने कम उम्र में ही सफलता का स्वाद चख लिया है। बहुत से लोगों का ऐसा मानना है कि जीवन में पाने को बहुत कुछ है। 

जीवन में कभी भी थोड़ा पाकर संतुष्ट नहीं होना चाहिए, इससे विकास के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं। सफलता पाने के लिए नीचे लिखी बातें अपनाइए और फिर देखिए कि आपको सफलता कैसे नहीं मिलती। 

आपका व्यक्तित्व- अगर आप चाहते हैं कि आप कम्पनी में ऊंचे पद पर पहुंचें तो उसके के लिए खुद ही प्रयास करने होंगे। खुद का व्यक्तित्व स्वयं ही सुधारें। व्यवहारिक बनें, लोगों से सम्पर्क बनाएं, अंतर्मुखी न बनें। आपको शांत, व्यवस्थित और आत्मविश्वासी होना चाहिए क्योंकि कोई भी ऐसे व्यक्ति के साथ काम नहीं करना चाहेगा, जो बुझा-बुझा सा और निरुत्साहित हो। 

अपनी भाषा पर नियंत्रण रखें- भाषा में अशुद्धता और गलत जगह गलत शब्दों का प्रयोग आपके लिए खतरनाक हो सकता है। ऐसा भी हो सकता है कि आपके सहयोगी आपके अनुभवों को दरकिनार कर दें और आपके अल्प ज्ञान की खिल्ली उड़ाएं। ऐसा कोई शब्कोश नहीं कि जिसे देखकर आप अपना ज्ञान बढ़ा सकें। ऐसा देखा जाता है कि जिन लोगों के पास बेहतर 'कम्युनिकेशन स्किल' होती है, उनकी स्थिति कम्पनी में काफी सुदृढ़ होती है। 

आपके काम में स्वाभाविकता होनी चाहिए- आपके सुझाव बिल्कुल नए और स्वाभाविक होने चाहिए। यह किसी की देखा-देखी पर आधारित नहीं होना चाहिए। किसी भी समस्या पर जब आप सुझाव दें उसके हर आयाम पर आपके विचार स्पष्ट होने चाहिए। आपके पास जो संसाधन हैं उसका भरपूर उपयोग करें। 

सावधानी से संभालें अपनी जिम्मेदारियां- मैनेजर के पद पर बैठे व्यक्ति से यह उम्मीद की जाती है कि उसमें 'पीपुल मैनेजमेंट' के गुण होने चाहिए। वक्त से कभी भी समझौता न करें। हर काम अपने समय पर पूरा करवाएं। अगर जरूरत पड़े तो सख्ती भी बरतें। लेकिन इस बात का ख्याल रखें कि आपकी सख्ती का प्रभाव उनके काम पर तो नहीं पड़ रहा। 

अच्छे काम पर शाबाशी देना न भूलें- काम करने के दौरान समूह की भावना को प्राथमिकता दें। क्योंकि कहा जाता है कि 'अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता'। चीजों को वस्तुनिष्ठ होकर देखें। जिस भी व्यक्ति ने बेहतर काम किया है उसके काम की तारीफ करना न भूलें। अपनी टीम को साथ लेकर चलने का प्रयास करें। विचारों का आदान-प्रदान करते रहें।

इंटरव्यू के लिए कुछ टिप्स


अगर ढेर सारी पढ़ाई करने के बावजूद आप अपने आपको और अर्जित ज्ञान को प्रस्तुत करना नहीं जानते तो, हो सकता है इंटरव्यू की कठिन दौड़ में पिछड़ जाएँ। ऐसे में कुछ साधारण, लेकिन महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखकर आप जंग जीत सकते हैं।

उच्च शिक्षा और कड़ी प्रतियोगिता आधुनिक जीवन शैली के अहम भाग बन चुके हैं। शिक्षा में उत्तम योग्यता के साथ-साथ उसका प्रस्तुतीकरण भी अत्यंत अहम बन गया है। 

केवल परीक्षा में अच्छे अंक लाकर सर्टिफिकेट हासिल करना ही सफलता का मापदंड नहीं रह गया है, बल्कि इंटरव्यू में उसका व्यावहारिक प्रदर्शन भी अति आवश्यक हो गया है। 

आमतौर पर लिखित परीक्षा की तैयारी तो किताबों द्वारा करना आसान है, पर इंटरव्यू आपके व्यक्तित्व प्रदर्शन का जरिया है। इसलिए सचेत होकर अपने व्यक्तित्व को सँवारकर ही इस कसौटी पर उतरिए। 

इंटरव्यू में सफलता का प्रथम आधार आपकी संबंधित विषय की तैयारी है। संबंधित विषय का सारगर्भित और उत्तम ज्ञान ही वह प्रथम कुंजी है, जहाँ से सफलता की राहें खुलती हैं। 

कई बार अच्छा आत्मविश्वास भी इंटरव्यू लेने वालों को आकर्षित करता है। पर बिना ज्ञान केवल आत्मविश्वास या अच्छा ज्ञान और कमजोर आत्मविश्वास- दोनों ही स्थितियों से बचिए। 

संतुलित व्यक्तित्व का प्रदर्शन कीजिए। जो भी प्रश्न पूछा जाए, उसका उत्तम शिष्टाचार के साथ संतुलित शब्दों में जवाब दीजिए। कई बार प्रश्न का जवाब आने पर प्रतियोगी अपना सारा ज्ञान एक प्रश्न के जवाब में देने लगते हैं। इस तरह का प्रदर्शन इंटरव्यू लेने वाले को बोर भी कर सकता है। 

सामान्य शिष्टाचार (अभिवादन, बैठने के लिए आज्ञा आदि) को तो भूलिए ही मत, साथ ही अपनी वेशभूषा का भी ध्यान रखिए। साधारण व गरिमामय वेशभूषा आपके व्यक्तित्व को निखारने में मदद करती है।

'बॉडी लैंग्वेज' को नियंत्रित रखिए। हड़बड़ाहट में फाइल गिराना, बार-बार हाथ हिलाना या पसीना पोंछना आपके आत्मविश्वास की कमी को प्रदर्शित करने वाली हरकतें हैं। 

इसलिए इंटरव्यू में जाने से पहले आइने के सामने या दोस्तों, परिवार के सदस्यों के सामने अभ्यास करिए ताकि ऐन वक्त पर कोई गड़बड़ी न हो। 

बॉडी लैंग्वेज के साथ-साथ आवाज की स्थिरता को भी बनाए रखिए। कुछ शब्दों का बार-बार प्रयोग, आवाज में कंपन, जल्दी-जल्दी या हड़बड़ाकर बोलना ऐसी गलतियाँ हैं, जो अधिकांशतः जल्दबाजी में लोगों से होती हैं।अच्छा ज्ञान व योग्यता होने के बावजूद ऐसे लोग इंटरव्यू में असफल हो जाते हैं।

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