आज भी मैं एक बच्चा हूँ,
आज भी मैं छुप के रोता हूँ,
आज भी मैं कभी कभी डरता हूँ,
आज भी वो लम्हे याद आते,
सिकुड़ के सोना,बेबाक बोलना,
किसी को सोचना,कभी कुछ न बोलना,
वो यारो से मिलना,बेमतलब झगड़ना,
वो खुद से बातें,वो बेपरवाह रातें,
कल एक मेला था,आज एक भीड़ है,
कल एक दौर था,आज एक दौड़ है,
कल मैं मैं था,आज मैं बस नाम हूँ,
लोग कहते हैं समझदार बनो,
कुछ सोचो,कुछ समझो,बड़ी बात करो,कुछ ख्वाहिशें भी हैं,थोड़ा शोर भी है,
कभी रुकना भी है,कहीं मज़िल भी है,
पर आज भी एक मासूमियत है,
पर आज भी एक शरारत है,
Iशायद आज भी मैं एक बच्चा हूँ ........
Santoshktn.blogger.com By SK BHARTI

Comments
Post a Comment