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Showing posts from May, 2017

*बुद्ध पूर्णिमा पर्व और सयुक्त राष्ट्र संघ*

संयुक्त राष्ट्र संघ का संदेश है कि समाज को बांटने पर केंद्रित नफरत संबंधी बयानों और हिंसक संघर्षों के वर्तमान दौर में बुद्ध की शिक्षा करुणा और अहिंसा अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बड़ी चुनौतियों से निबटने में मदद करती है। संयुक्त राष्ट्र संघ का मानना है कि भगवान बुद्ध की शिक्षा का प्रबल आधार   'विवेक" है जिससे अपने परिवार के साथ समाज को जोड़ने का सौभाग्य मिलता है यह सामूहिक जीवनपार्जन नीति है,।अंतरराष्ट्रीय और स्थानीय चुनौतियों को  निबटने में बुद्ध की शिक्षा जितनी प्राचीन काल में प्रासंगीक थी, आज भी उत-निहि प्रासंगिक है।  बुद्ध कि शिक्षा सभी जीवों के लिए प्यार और करुणा का पाठ पढ़ाती है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपने संदेश में आगे यह भी कहा है कि समस्याओं का समाधान "बौद्ध विवेक एक प्रबल स्त्रोत है" जो  'आंतरराष्ट्रीय वैशाख बुद्ध पूर्णिमा दिवस' है और यह दिवस सभी लोगों के प्रति करूणा अपनाने की याद दिलाता है जिसमें विभिन्न वर्गो में कट्टरता अस्वीकार करके सभी लोगों को समान रूप से गले लगाना शामिल है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में विशेष तौर पर बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है जिसमे...

मेरी मां के लिए मेरे मन की बातें.......

मां तू ही आहट है,  तू नजाकत,तू ही हिमायत है मेरी। तू ही शराफत, तू शरारत,तू मोहब्बत है मेरी। तू ही जरुरत, तू गनीमत,तू शिकायत है मेरी। तू ही बनावट, तू सजावट,तू लिखावट है मेरी। तू ही रब की दया है,तू ही मेरी दुआ है। तू खुशियों की सदा है,तू दुखों की दवा है। तू लबों की हंसी है,तू आंखों की नमी हैं। तू प्यार की मूरत है,तू दिल की जरूरत है। तू ममता का सागर है,तू खुशियों की गागर है तू दुनिया में अनोखी है,तू सागर का मोती है। तू ज्ञान है मेरा, तू मान है मेरा। तूने सिखाया तो जीवन आसान है मेरा  मां तेरी दुआ से मैं खुश हूं। मां तेरी वजह से मैं खुश हूं। I love you maa........ Thanks for reading. ..
ये उन सभी मांओं के लिए, जो अपने बच्चों के लिए अपनी जान वार देने को तैयार है........ फूलों की खुशबू से चुराके खुशबू, मैं तुमको महकाऊं। मेरी जान के टुकड़े हो तुम, मैं तुमपे जान लुटाऊं। मैं मां हूं तुम्हारी,  मेरे बच्चे हो तुम, मैं जानती हूं , अभी छोटे थोड़े कच्चे हो तुम। पर तुम्हारी मां है तुम्हारे साथ , हर पल , हर कदम तुम्हारी रक्षा करूंगी मैं, जब तक है दम।तुम घबराना ना,  डर जाना ना,आंधियों से तूफानों से, मां की दुआएं तो रही है, बच्चों के साथ जमानो से। ना कभी मुश्किल में, होंसला हारो, मैं तुमको समझाऊं, मेरी जान के टुकड़े हो तुम, मैं तुमपे जान लुटाऊं।। Thanks for reading. ..

माँ के लिए एक सुन्दर कविता...

इस कविता के अंत में कोई कसम नहीं है क्योंकि ये कविता इतनी अच्छी है आप खुद शेयर किये बिना नहीं रह पाएंगे... लेती नहीं दवाई "माँ", जोड़े पाई-पाई "माँ"। दुःख थे पर्वत, राई "माँ", हारी नहीं लड़ाई "माँ"। इस दुनियां में सब मैले हैं, किस दुनियां से आई "माँ"। दुनिया के सब रिश्ते ठंडे, गरमागरम रजाई "माँ" । जब भी कोई रिश्ता उधड़े, करती है तुरपाई "माँ" । बाबू जी तनख़ा लाये बस, लेकिन बरक़त लाई "माँ"। बाबूजी थे सख्त मगर , माखन और मलाई "माँ"। बाबूजी के पाँव दबा कर सब तीरथ हो आई "माँ"। नाम सभी हैं गुड़ से मीठे, मां जी, मैया, माई, "माँ" । सभी साड़ियाँ छीज गई थीं, मगर नहीं कह पाई  "माँ" । घर में चूल्हे मत बाँटो रे, देती रही दुहाई "माँ"। बाबूजी बीमार पड़े जब, साथ-साथ मुरझाई "माँ" । रोती है लेकिन छुप-छुप कर, बड़े सब्र की जाई "माँ"। लड़त...

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