Skip to main content

शरीर के रोंगटे खड़े कर देने वाली कविता "माँ की इच्छा"

     महीने बीत जाते हैं ,
     साल गुजर जाता है ,
     वृद्धाश्रम की सीढ़ियों पर,
     मैं तेरी राह देखती हूँ।
     आँचल भीग जाता है,
     मन खाली खाली रहता है।                                     तू कभी नहीं आता ,
   तेरा मनीआर्डर आता है।
     इस बार पैसे न भेज ,
      तू खुद आ जा ,
     बेटा मुझे अपने साथ ,
     अपने 🏡घर लेकर जा।
  तेरे पापा थे जब तक ,
  समय ठीक रहा कटते ,
  खुली आँखों से चले गए ,
  तुझे याद करते करते।
               अंत तक तुझको हर दिन ,
               बढ़िया बेटा कहते थे ,
               तेरे साहबपन का ,
               गुमान बहुत वो करते थे।
               मेरे ह्रदय में अपनी फोटो ,
               आकर तू देख जा ,
               बेटा मुझे अपने साथ ,
                अपने 🏡घर लेकर जा।
अकाल के समय ,
जन्म तेरा हुआ था ,
तेरे दूध के लिए ,
हमने चाय पीना छोड़ा था।
               वर्षों तक एक कपडे को ,
               धो धो कर पहना हमने ,
               पापा ने चिथड़े पहने ,
               पर तुझे स्कूल भेजा हमने।
                  चाहे तो ये सारी बातें ,
                  आसानी से तू भूल जा ,
                  बेटा मुझे अपने साथ ,
                  अपने 🏡घर लेकर जा।
घर के बर्तन मैं माँजूंगी ,
झाडू पोछा मैं करूंगी ,
  खाना दोनों वक्त का ,
  सबके लिए बना दूँगी।
            नाती नातिन की देखभाल ,
            अच्छी तरह करूंगी मैं ,
            घबरा मत, उनकी दादी हूँ ,
            ऐंसा नहीं कहूँगी मैं।
                  तेरे 🏡घर की नौकरानी ,
                  ही समझ मुझे ले जा ,
                  बेटा मुझे अपने साथ ,
                  अपने 🏡घर लेकर जा।
आँखें मेरी थक गईं ,
प्राण अधर में अटका है ,
तेरे बिना जीवन जीना ,
अब मुश्किल लगता है।
                 कैसे मैं तुझे भुला दूँ ,
                 तुझसे तो मैं माँ हुई ,
                 बता ऐ मेरे कुलभूषण ,
                 अनाथ मैं कैसे हुई ?
अब आ जा तू
एक बार तो माँ कह जा ,
हो सके तो जाते जाते
वृद्धाश्रम गिराता जा।
              बेटा मुझे अपने साथ
              अपने 🏡घर लेकर जा।।

👌जब बच्चा रोता है , तो पूरी बिल्डिंग  को पता चलता है , 👌🏽
मगर साहब ,
जब  माँ बाप रोते है तो बाजु वाले को भी पता नही चलता है,
ये जिंदगी की सच्चाई है..☝🏽👍👆 👌🏻

Contact us

Name

Email *

Message *

Like us on Facebook

Popular posts from this blog

बाल मनोविज्ञान(UPTET& CTET)

बाल मनोविज्ञान(UPTET& CTET) 🔹"तुम मुझे एक बालक दे दो मै उसे ऐसा बनाऊँगा जैसा तुम चाहते हो" ये कथन किसका है- *जे.बी.वाटसन का* 🔹किशोरावस्था को तुफानी अवस्था किसने कहा है- *स्टेनलेहाल ने* 🔹किशोरावस्था, शैशवावस्था की पुनरावृत्ति है, किसका कथन है- *रॉस का* 🔹गेस्टाल्टवाद के संस्थापक कौन है- *वार्दीमर* 🔹दूध के दांतों की कितनी संख्या होती है- *20* 🔹उत्तरप्रदेश बेसिक शिक्षा परियोजना कब से प्रभावी है- *5 अक्टूवर 1981 से* 🔹मनुष्य को जो कुछ भी बनना होता है, वह 4- 5 वर्षो में बन जाता है, किसने कहा है— *फ़्रायड* 🔹जीवन के प्रथम 2 वर्षों में बालक अपने भावी जीवन का शिलान्यास करता है — *स्टैंग* 🔹किस अवस्था को मानव जीवन का स्वर्णिम समय कहा गया है- *बाल्यावस्था को* 🔹बाल्यावस्था जीवन का अनोखा काल है, किसका कथन है - *कोल एड बुस का* 🔹बालक के हाथ-पैर और नेत्र उसके प्रारम्भिक शिक्षक होते है " कथन है? *रुसो का* 🔹" बीसवी सदी को 'बालक की शताब्दी " किसने कहा है-  *क्रो एवं क्रो ने* 🔸सीखने का अनोखाकाल- *शैशवावस्था को* 🔸जीवन का अनोखाकाल- *बाल्...

"मानवता ही श्रेष्ठ धर्म हैं"

*आजकल शादी-ब्याह का मौसम जोरों पर चल रहा हैं ।* कहते हैं शादी का लड्डू ऐसा हैं जो खाये वो पछताए जो न खाये वो भी पछताए ।कुछ बुद्धिजीवी और विद्वान सलाह देते हैं कि लड्डू खाकर ही पछताना चाहिए । लेकिन मेरी सलाह हैं कि शादी के लड्डू को पछताने वाला कतई भी नही बनाये इतनी काबिलियत खुद में तैयार कर ले कि जीवन-सफर ख़ुशी-ख़ुशी व्यतीत हो ।नींद से सुबह जैसे ही मेरी आँखे खुली पड़ोस से मधुर संगीत आवाज़ आया गीत चल रहा था - बाबुल की दुआये लेती जा जा तुझको .....** मुझे ख्याल आया कि इतना पुराना गीत, वह भी रुला देने वाला, इतने सालों बाद ? अब फिल्मों में नए गीत क्यों नही बनते ? बनते भी हैं तो बहुत ही कम ?**क्या अब फिल्मों में व्यवस्थित शादियाँ नही दिखाई जाती ?**आधुनिक युग में युवां-युवतियां शायद अब प्रेम-विवाह ज्यादा पसन्द करती हैं इसलिए माता-पिता भी शार्टकट पसन्द करते हुए विवाह कर देते हैं । इसलिए बिदाई के गीत नही के बराबर बन रहे हैं ।* *अंत में ! मैं तो चाहता हूँ कि बिदाई गीत भी बने , प्रेम- विवाह ( अंतर्जातीय विवाह ) भी हो ! प्रेमी-युगल को मनपसन्द हमसफ़र भी मिले लेकिन माँ-बाप की इज़ाजत से ।**और हर म...

भारत की घटिया राजनीति by SK BHARTI

क्या भारत जैसी घटिया राजनीति और किसी देश मे भी होती होगी ;क्योंकि इसी घटिया राजनीति के चलते भारत आज भी विकासशील देशो की लाइन मे खड़ा है? ????  भारत मे धर्म ,जाति और स्थानीयता के आधार पर राजनीति किया जाता है। तथा इसी कारण देशभर के युवाओं को बेरोजगारी का सामना  करना पड़ रहा है। (santoshktn.blogspot.com by SK BHARTI) भारत की राजनीति बहुत घटिया है, यहाँ के नेता सिर्फ अपने बारे मे सोचते है ,अगर आज अपने बारे मे ना सोचे होते तो शायद पाकिस्तान नक्शे मे ना होता । भारत 50 साल से एक अँगुल भर के देश से ना जूझता  ,हर बार सैनिक और बेचारी निर्दोष जनता ना मारी जाती ।अपने देश मे पाकिस्तान के नारे ना लगते  ,चीन  10 किलोमीटर अंदर नही आ जाता ,यही बात सिद्ध करता है कि भारत के नेता सिर्फ भौकते है ,भारत की जनता सोती है ,"राजनीति के नाम पे सिर्फ धर्म के ठेकेदार जो आपस मे तु तु मै मै करते है अगर इतना देश के लिए लड़े तो कुछ देश सुधर सकता है " भारतीय नेताओं आपकी राजनीति सब से घटिया है ।   राजनीति में सक्रिय लोगों तमाम नेताओं पर हम नजर डालें तो हमें यह देखकर दु:ख होगा कि ,...