चलो इस दुनिया को कुछ हसीन बनाया जाय,
किसी का दर्द बाँटकर होठों पे मुस्कान लाया जाय।
कितनी बर्बादी है खाने की इस दुनिया में,
चलो किसी भूखे को भोजन कराया जाय।
देखा है हमने फ़टे-हाल मेहनतकशों को भी,
चलो किसी की चादर में पैब॔द लगाया जाय।
हसीन लगते हैं चाँद और सितारे तो बहुत,
चलो इस दुनिया को भी कुछ हसीन बनाया जाय।
बूँद-बूँद से ही भरता है घड़ा,ये करके दिखाया जाय,
क्या होगा म॔दिरों में दान देकर,अस्पताल बनाया जाय।
झुक गई है जिनकी कमर बुढ़ापे के बोझ से,
चलो उनके साथ दो पल ही बिताया जाय।
ढहा कर नफ़रत की दीवारों को इस दुनिया से,
चलो इस दुनिया को कुछ हसीन बनाया जाय।
Santoshktn.blogger.com By SK BHARTI

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