*मस्जिद पे गिरता है* *मंदिर पे भी बरसता है..* *ए बादल बता तेरा मजहब कौनसा है........।।* *इमाम की तू प्यास बुझाए* *पुजारी की भी तृष्णा मिटाए*.. *ए पानी बता तेरा मजहब कोन सा है.... ।।* *मज़ारो की शान बढाता है* *मुर्तीयों को भी सजाता है..* *ए फूल बता तेरा मजहब कौनसा है........।।* *सारे जहाँ को रोशन करता है* *सृष्टी को उजाला देता है..* *ए सुरज बता तेरा मजहब कौनसा है.........।।* *मुस्लिम तूझ पे कब्र बनाता है* *हिंदू आखिर तूझ में ही विलीन होता है..* *ए मिट्टी बता तेरा मजहब कौनसा है......।।* *ऐ दोस्त मजहब से दूर हटकर, इंसान बनो* *क्योंकि "इंसानियत" का कोई मजहब नहीं होता... ।।* *नमो बुद्धाय* *जय भीम* sntshbhartiya@gmail.com