एक बार इस कविता को💘दिल से पढ़िये शब्द-शब्द में गहराई है... जब आंख खुली तो अम्मा की गोदी का एक सहारा था, उसका नन्हा सा आंचल मुझको भूमण्डल से प्यारा था। उसके चेहरे की झलक देख चेहरा फूलों सा खिलता था, उसके स्तन की एक बूंद से मुझको जीवन मिलता था। हाथों से बालों को नोंचा पैरों से खूब प्रहार किया, फिर भी उस मां ने पुचकारा हमको जी भर के प्यार किया। मैं उसका राजा बेटा था वो आंख का तारा कहती थी, मैं बनूं बुढापे में उसका बस एक सहारा कहती थी। उंगली को पकड. चलाया था पढने विद्यालय भेजा था, मेरी नादानी को भी निज अन्तर में सदा सहेजा था। मेरे सारे प्रश्नों का वो फौरन जवाब बन जाती थी, मेरी राहों के कांटे चुन वो खुद गुलाब बन जाती थी। मैं बडा हुआ तो कॉलेज से इक रोग प्यार का ले आया, जिस दिल में मां की मूरत थी वो रामकली को दे आया। शादी की पति से बाप बना अपने रिश्तों में झूल गया, अब करवाचौथ मनाता हूं मां की ममता को भूल गया। हम भूल गये उसकी ममता मेरे जीवन की थाती थी, हम भूल गये अपना जीवन वो अमृत वाली छाती थी। हम भूल गये वो खु...