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Showing posts from August, 2017

तू कितनी हसीन है ऐ...

तू कितनी हसीन है ऐ नौकरी, सारे युवा आज तुझपे ही मरते हैं। सुख चैन खोकर चटाई पे सोकर, सारी रात जागकर पन्ने पलटते हैं। दिन में तहरी और रातों को मैगी, कुछ भी खा पीकर तेरा नाम जपते हैं। सारे युवा आज तुझपे ही मरते हैं। शहर में छोटा सा सस्ता रूम लेकर, किचन बेडरूम सब उसी में सहेज के, चाहत में तेरी ऐ सुंदर हसीना, तू क्या जाने कितने के बाल झड़ते हैं, सारे युवा आज तुझपे ही मरते हैं। रासन की गठरी को सर पे उठाये, अपनी मायूसी खुद से ही छिपाये, खचाखच भरे रेलगाडी के डिब्बे में, देश के युवा बेटिकट सफ़र करते हैं, सारे युवा आज तुझपे ही मरते हैं। इंटरनेट अखबारों में तुझको तलाशते, तेरे लिये पत्र पत्रिकाएं खंगालते, तीस बत्तीस साल तक के नौजवान, तेरे खातिर आज भी कुंवारे फिरते हैं, तू कितनी हसीन है ऐ नौकरी, सारे युवा आज तुझपे ही मरते।। santoshktn.blogspot.com by SK BHARTI

रक्षा बंधन पर कुछ सुन्दर पंक्तियाँ

आहत न होना मैं दिल की खोल रहा हूँ । जय भीम दीदी मैं तेरा भाई बोल रहा हूँ । तेरा घर है तू सौ नहीं हज़ार बार आना । पर राखी बाँधने तू कल मत आना। ढोंग पाखन्ड से मुँह मोड़ चुका हूँ । ब्राह्मण वादी परम्पराओं से नाता तोड़ चुका हूँ । सरफरोसी जज्बा कौमी आदी हो गया है। तेरा भाई पक्का अम्बेडकर वादी हो गया है । तेरी रक्षा सुरक्षा से मुझे ऐतराज़ नही है । मगर मेरा फर्ज किसी राखी का मोहताज नही है। दुख दर्द पीर भारत की नारी का ले गये । बाबा साहब तो बिन राखी के सारे अधिकार दे गये। बिगड़ा हुआ कल था वो आज बना दिया है। बाबा साहब ने नारी को सरताज बना दिया है । मेरा साथ दे और तू भी अपना रुख मोड़ ले । दूज दिवाली होली मनाना तू भी छोड़ दे । नाराज न होना बहन मेरी परसों खुद लेने आऊंगा । प्रीत रीत और फर्ज अर्ज राखी बिन सभी निभाऊंगा। ( जय भीम ) Santoshktn.blogger.com By SK BHARTI

रक्षा बंधन पर सुन्दर पंक्तियाँ

आहत न होना मैं दिल की खोल रहा हूँ । जय भीम दीदी मैं तेरा भाई बोल रहा हूँ । तेरा घर है तू सौ नहीं हज़ार बार आना । पर राखी बाँधने तू कल मत आना। ढोंग पाखन्ड से मुँह मोड़ चुका हूँ । ब्राह्मण वादी परम्पराओं से नाता तोड़ चुका हूँ । सरफरोसी जज्बा कौमी आदी हो गया है। तेरा भाई पक्का अम्बेडकर वादी हो गया है । तेरी रक्षा सुरक्षा से मुझे ऐतराज़ नही है । मगर मेरा फर्ज किसी राखी का मोहताज नही है। दुख दर्द पीर भारत की नारी का ले गये । बाबा साहब तो बिन राखी के सारे अधिकार दे गये। बिगड़ा हुआ कल था वो आज बना दिया है। बाबा साहब ने नारी को सरताज बना दिया है । मेरा साथ दे और तू भी अपना रुख मोड़ ले । दूज दिवाली होली मनाना तू भी छोड़ दे । नाराज न होना बहन मेरी परसों खुद लेने आऊंगा । प्रीत रीत और फर्ज अर्ज राखी बिन सभी निभाऊंगा। ( जय भीम ) Santoshktn.blogger.com By SK BHARTI

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