तू कितनी हसीन है ऐ नौकरी, सारे युवा आज तुझपे ही मरते हैं। सुख चैन खोकर चटाई पे सोकर, सारी रात जागकर पन्ने पलटते हैं। दिन में तहरी और रातों को मैगी, कुछ भी खा पीकर तेरा नाम जपते हैं। सारे युवा आज तुझपे ही मरते हैं। शहर में छोटा सा सस्ता रूम लेकर, किचन बेडरूम सब उसी में सहेज के, चाहत में तेरी ऐ सुंदर हसीना, तू क्या जाने कितने के बाल झड़ते हैं, सारे युवा आज तुझपे ही मरते हैं। रासन की गठरी को सर पे उठाये, अपनी मायूसी खुद से ही छिपाये, खचाखच भरे रेलगाडी के डिब्बे में, देश के युवा बेटिकट सफ़र करते हैं, सारे युवा आज तुझपे ही मरते हैं। इंटरनेट अखबारों में तुझको तलाशते, तेरे लिये पत्र पत्रिकाएं खंगालते, तीस बत्तीस साल तक के नौजवान, तेरे खातिर आज भी कुंवारे फिरते हैं, तू कितनी हसीन है ऐ नौकरी, सारे युवा आज तुझपे ही मरते।। santoshktn.blogspot.com by SK BHARTI