🌹मान्यवर कांशीराम साहब के जीवन पर्यंत संघर्ष का मुख्य मकसद था "सामाजिक एवं आर्थिक परिवर्तन" लाना. उनका मकसद था ।एक ऐसा समाज बनाना जो समता, स्वतंत्रता, न्याय और बंधुत्व पर आधारित हो. अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए वे सत्ता को एक साधन मानते थे. लेकिन उनके सामने अनेक कठिनाइयाँ थीं. अपने संघर्ष और लक्ष्य की प्राप्ति के लिए वे मनी, माफिया और मीडिया को सबसे बड़ा रोड़ा मानते थे. उन्होंने इनसे मुकाबला करने के लिए अलग-अलग रणनीति बनायीं, साथ ही बहुजन समाज के लोगों को इन तीनों से सावधान रहने का आह्वान किया. हम यहाँ अन्य बिन्दुओं पर विस्तार में जाने की बजाय उन घटनाओं की ओर आपका का ध्यान आकृष्ट करना चाहते हैं जिनसे आप जान सकें कि मान्यवर कांशीराम साहब ने किस-किस प्रकार की परिस्थितियों का सामना करके चुनावों में सफलता के कीर्तिमान स्थापित किये. और बहुजन समाज को सत्ता के मंदिर तक पहुँचाने के लिए मजबूत आधार प्रदान किया. 🌹14 अप्रैल 1984 को बहुजन समाज पार्टी (BSP) की स्थापना के बाद मान्यवर कांशीरामजी ने पहला लोकसभा चुनाव दिसम्बर 1984 में "जांजगीर मध्यप्रदेश" से लड़ा था. मान्यवर के शब्...